रीगा चीनी मिल के प्रबंधन
की समस्या है कि,
चीनी
का बाजार भाव,
लागत
के दाम से कम है। गन्ना और
मजदुरी का मुल्य बढ़ा है,
पर
उस अनुपात में चीनी का मुल्य
नहीं!
रीगा
चीनी मिल के शेयर (हिस्सेदारी)
का
दाम भी बहुत कम है। कंपनी पर
कर्ज बोझ भी काफी अधीक है।
शेयर का वर्तमान दाम,
मूल
दाम से कम होना,
दर्शाति
है कि कंपनी
निवेशकों का मन/भरोसा
नहीं जीत पा रही है। पर मेरी
जानकारी में,
सीतामढ़ी
का यह एक मात्र कंपनी है,
जिसका
शेयर बाॅम्बे स्टौक एक्सचेंज
पर है। और यह किसान,
मजदुर
से जुड़ी कंपनी
है,
इस
लिये मुझे इस
से काफी उम्मीद है।
सुना था कि, कंपनी किसान को गन्ने का मुल्य में, पैसे के बदले, चीनी दे रही है । इसका एक और समाधान है कि कंपनी किसान को गन्ने का मुल्य और मजदुर को मजदुरी के कुछ पैसे के साथ, कुछ शेयर दे । शेयर का अंकित मूल्य (Face value) और वर्तमान दाम (Market value) में जो ज्यादा हो, वही खर्चे का निपटारा में लागु हो । डीमैट खाता का प्रबंध बैंक या कंपनी स्वयं कर सकती है।
वैसे तो शेयर बाजार में बुद्धी के प्रयोग की प्रबलता है, पर मेरा यह भी मानना है कि भावनात्मक रूप से हर व्यक्ति को अपने क्षेत्र की कंपनी का कुछ शेयर लेना चाहिये।
चीनी का दाम, लागत से कम क्यों है ?
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चीनी का मुल्य, सरकार द्वारा नियंत्रित है।
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कुछ कंपनी, कम लागत में चीनी बना कर, सीतामढ़ी के बाजार में बेच पा रही है।
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दुसरे देशों से/में भी चीनी का आयात/निर्यात होता है।
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किसान को गन्ने का सही मुल्य नहीं मिलने पर वें दुसरे फसल, जैसे कि धान, सब्जी, की खेती करेंगे। गन्ने को मिल को न देकर वे गुड़ उत्पादन या शर्बत बनाने -बेचने में लगा सकती है।
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मजदुर को अच्छी मजदुरी न मिलने पर पलायण बढ़ेगा, और सरकार को समर्थन/वोट घटेगा और कलह/अराजकता बढ़ेगा।
सरकार के समर्थन के कारण, कंपनी को काफी ऋण मिली है, और मिल रही है। इस लिये इस कंपनी को निवेशकों का मन जीतने की इच्छा भी नहीं है। सरकार या तो इसका ऋण माफ कर देगी, या इसे ऋण चुकाने के लायक बना देगी!